Thursday, March 5, 2009

मैंने जीवन देखा, जीवन का गान किया- हरिवंश राय बच्चन

मैं कभी, कहीं पर सफर
खत्म कर देने को तैयार सदा था,
इसमें भी थी क्या मुश्किल ।
चलना ही जिसका काम
रहा हो दुनिया में,
हर एक कदम के ऊपर
है उसकी मंजिल ।
जो कल पर काम उठाता
वो है पछताता,
कल अगर नहीं फ़िर उसकी
किस्मत में आता ।
मैंने कल पर कब आज
भला बलिदान किया,
मैंने जीवन देखा
जीवन का गान किया !

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